Google+

Monday, October 13, 2014

विचार और स्नेह...
हर एक का सोच विचार का तरीका अलग अलग होता है किन्तु सबके मन में दया , स्नेह और करुणा एक समान होनी चाहिए !

Tuesday, October 7, 2014

गुड............

-भोजन के पश्चात नित्य गुड़ की एक डली मुँह में रख कर चूसने से पाचन अच्छा होता है। साथ ही वायुविकार अर्थात गैसेस से भी मुक्ति मिलती है। एसिडिटी नहीं होती।
-चीनी की चाय की जगह गुड़ की चाय अधिक स्वास्थ्यकर मानी जाती है।
-२५० ग्राम कच्चा पीसा जीरा और १२५ ग्राम गुड़ को मिला कर इसकी गोलियाँ बना लें। दो-दो गोली नित्य दिन में तीन बार खाने से मूत्र विकार में लाभ मिलता है। जैसे मूत्र नहीं होना, मूत्र में जलन आदि।
-रक्तविकार वालों को गुड़ की चाय, दूध के साथ गुड़ या गुड़ की लस्सी पीने से लाभ होता है।
-बीस ग्राम गुड़ और एक चम्मच आँवले का चूर्ण नित्य लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है और वीर्य पुष्ट होता है।
-गुड़ और शुद्ध घी मिला कर खाने से शरीर तगड़ा होता है। इससे रक्तविकार और रक्तपित्त नहीं होता।
-एसिडिटी वालों को रोज प्रातःकाल थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए। -ठंड के दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गर्मागर्म पीना अच्छा रहता है। यह सर्दी-जुकाम से बचाता है।