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Sunday, January 14, 2024

पीर पराई ...

*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*

*💐💐परोपकार💐💐*
बहुत समय पहले की बात है एक विख्यात ऋषि रघुवीर गुरुकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे । उनके गुरुकुल में बड़े-बड़े राजा महाराजाओं के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के लड़के भी पढ़ा करते थे।
वर्षों से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और सभी बड़े उत्साह के साथ अपने अपने घरों को लौटने की तैयारी कर रहे थे कि तभी ऋषिवर की तेज आवाज सभी के कानो में पड़ी ,
” आप सभी मैदान में एकत्रित हो जाएं। “
आदेश सुनते ही शिष्यों ने ऐसा ही किया।
ऋषिवर बोले , “ प्रिय शिष्यों , आज इस गुरुकुल में आपका अंतिम दिन है . मैं चाहता हूँ कि यहाँ से प्रस्थान करने से पहले आप सभी एक दौड़ में हिस्सा लें।
यह एक बाधा दौड़ होगी और इसमें आपको कहीं कूदना तो कहीं पानी में दौड़ना होगा और इसके आखिरी हिस्से में आपको एक अँधेरी सुरंग से भी गुजरना पड़ेगा ।”
तो क्या आप सब तैयार हैं ?”
” हाँ , हम तैयार हैं ”, शिष्य एक स्वर में बोले ।
दौड़ शुरू हुई ।
सभी तेजी से भागने लगे । वे तमाम बाधाओं को पार करते हुए अंत में सुरंग के पास पहुंचे ।वहाँ बहुत अँधेरा था और उसमे जगह – जगह नुकीले पत्थर भी पड़े थे जिनके चुभने पर असहनीय पीड़ा का अनुभव होता था 
सभी असमंजस में पड़ गए , जहाँ अभी तक दौड़ में सभी एक सामान बर्ताव कर रहे थे वहीँ अब सभी अलग -अलग व्यवहार करने लगे नवनीत। खैर , सभी ने ऐसे-तैसे दौड़ ख़त्म की और ऋषिवर के समक्ष एकत्रित हुए।
“पुत्रों ! मैं देख रहा हूँ कि कुछ लोगों ने दौड़ बहुत जल्दी पूरी कर ली और कुछ ने बहुत अधिक समय लिया , भला ऐसा क्यों ?”, ऋषिवर ने प्रश्न किया।
यह सुनकर एक शिष्य बोला , “ गुरु जी , हम सभी लगभग साथ –साथ ही दौड़ रहे थे पर सुरंग में पहुचते ही स्थिति बदल गयी …कोई दुसरे को धक्का देकर आगे निकलने में लगा हुआ था तो कोई संभल -संभल कर आगे बढ़ रहा था …और कुछ तो ऐसे भी थे जो पैरों में चुभ रहे पत्थरों को उठा -उठा कर अपनी जेब में रख ले रहे थे ताकि बाद में आने वाले लोगों को पीड़ा ना सहनी पड़े…. इसलिए सब ने अलग-अलग समय में दौड़ पूरी की ।”
“ठीक है ! जिन लोगों ने पत्थर उठाये हैं वे आगे आएं और मुझे वो पत्थर दिखाएँ “, ऋषिवर ने आदेश दिया .
आदेश सुनते ही कुछ शिष्य सामने आये और पत्थर निकालने लगे ,पर ये क्या जिन्हे वे पत्थर समझ रहे थे दरअसल वे बहुमूल्य हीरे थे । सभी आश्चर्य में पड़ गए और ऋषिवर की तरफ देखने लगे ।
“ मैं जानता हूँ आप लोग इन हीरों के देखकर आश्चर्य में पड़ गए हैं ।” ऋषिवर बोले।
“ दरअसल इन्हे मैंने ही उस सुरंग में डाला था , और यह दूसरों के विषय में सोचने वालों शिष्यों को मेरा इनाम है।
*💐💐शिक्षा💐💐*

पुत्रों यह दौड़ जीवन की भागम -भाग को दर्शाती है, जहाँ हर कोई कुछ न कुछ पाने के लिए भाग रहा है ,पर अंत में वही सबसे समृद्ध होता है जो इस भागम -भाग में भी दूसरों के बारे में सोचने और उनका भला करने से नहीं चूकता है .
अतः यहाँ से जाते -जाते इस बात को गाँठ बाँध लीजिये कि आप अपने जीवन में सफलता की जो इमारत खड़ी करें उसमे परोपकार की ईंटे लगाना कभी ना भूलें , अंततः वही आपकी सबसे अनमोल जमा-पूँजी होगी ।

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
🙏🙏🙏🙏🌳🦚🦚🌳🙏🙏🙏🙏

Wednesday, February 1, 2023

शान्ति

मन को शांत रखना एक कला है , दुनिया के बहुत सारे झंझट ओ से मुक्ति के लिए मन एकाग्र और शांत रहें यह जरूरी है मन को शांत रखने के लिए व्यर्थ की बातों पर ध्यान ना देना आगे की चिंता ना करना जो गुजर गया उसे याद ना करना बहुत जरूरी है मन शांत रहेगा तो मस्तिष्क सक्रिय रहेगा।

Wednesday, September 14, 2022

मिट्टी

मिट्टी से अपनी जो भी वफाएं न कर सका
वो पेड़ आंधियों में जड़ों से उखड़ गया
उसने भी सबके साथ मेरी की मुखालिफत 
जिसके लिए मैं सारे जमाने से लड़ गया 
जिस दिन मेरे उरूज ( तरक्की ) की उसने खबर सुनी
उस दिन से उसका जहनी तवाजुम बिगड़ गया

शक्ति

ठंडा पानी और गरम प्रेस.…. कपड़ों की सारी सलवटें निकाल देती हैं।

 ऐसे ही ठंडा दिमाग और ऊर्जा से भरा हुआ दिल.…. जीवन की सारी उलझन मिटा देते हैं !!!💐💐💐

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Friday, August 19, 2022

प्रारब्ध

प्रारब्ध...... 
    एक गुरूजी थे । हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करते थे । काफी बुजुर्ग हो गये थे । उनके कुछ शिष्य साथ मे ही पास के कमरे मे रहते थे ।

     जब भी गुरूजी को शौच; स्नान आदि के लिये जाना होता था; वे अपने शिष्यो को आवाज लगाते थे और शिष्य ले जाते थे ।
    धीरे धीरे कुछ दिन बाद शिष्य दो तीन बार आवाज लगाने के बाद भी कभी आते कभी और भी देर से आते ।

    एक दिन रात को निवृत्त होने के लिये जैसे ही गुरूजी आवाज लगाते है, तुरन्त एक बालक आता है और बडे ही कोमल स्पर्श के साथ गुरूजी को निवृत्त करवा कर बिस्तर पर लेटा जाता है । अब ये रोज का नियम हो गया ।

    एक दिन गुरूजी को शक हो जाता है कि, पहले तो शिष्यों को तीन चार बार आवाज लगाने पर भी देर से आते थे । लेकिन ये बालक तो आवाज लगाते ही दूसरे क्षण आ जाता है और बडे कोमल स्पर्श से सब निवृत्त करवा देता है ।

    एक दिन गुरूजी उस बालक का हाथ पकड लेते है और पूछते कि सच बता तू कौन है ? मेरे शिष्य तो ऐसे नही हैं ।
    वो बालक के रूप में स्वयं ईश्वर थे; उन्होंने गुरूजी को स्वयं का वास्तविक रूप दिखाया।
     गुरूजी रोते हुये कहते है : हे प्रभु आप स्वयं मेरे निवृत्ती के कार्य कर रहे है । यदि मुझसे इतने प्रसन्न हो तो मुक्ति ही दे दो ना ।

     प्रभु कहते है कि जो आप भुगत रहे है वो आपके प्रारब्ध है । आप मेरे सच्चे साधक है; हर समय मेरा नाम जप करते है इसलिये मै आपके प्रारब्ध भी आपकी सच्ची साधना के कारण स्वयं कटवा रहा हूँ ।

     गुरूजी कहते है कि क्या मेरे प्रारब्ध आपकी कृपा से भी बडे है; क्या आपकी कृपा, मेरे प्रारब्ध नही काट सकती है ।

     प्रभु कहते है कि, मेरी कृपा सर्वोपरि है; ये अवश्य आपके प्रारब्ध काट सकती है; लेकिन फिर अगले जन्म मे आपको ये प्रारब्ध भुगतने फिर से आना होगा । यही कर्म नियम है । इसलिए आपके प्रारब्ध स्वयं अपने हाथो से कटवा कर इस जन्म-मरण से आपको मुक्ति देना चाहता हूँ ।
ईश्वर कहते है: *प्रारब्ध तीन तरह* के होते है :
*मन्द*, 

                    *तीव्र*, तथा 

                                            *तीव्रतम*
*मन्द प्रारब्ध* मेरा नाम जपने से कट जाते है । *तीव्र प्रारब्ध* किसी सच्चे संत का संग करके श्रद्धा और विश्वास से मेरा नाम जपने पर कट जाते है । पर *तीव्रतम प्रारब्ध* भुगतने ही पडते है।

लेकिन जो हर समय श्रद्धा और विश्वास से मुझे जपते हैं; उनके प्रारब्ध मैं स्वयं साथ रहकर कटवाता हूँ और तीव्रता का अहसास नहीं होने देता हूँ ।
           
प्रारब्ध पहले रचा, पीछे रचा शरीर ।
तुलसी चिन्ता क्यों करे, भज ले श्री रघुबीर।।

Friday, January 7, 2022

मिट्टी

मिट्टी से अपनी जो भी वफाएं न कर सका
वो पेड़ आंधियों में जड़ों से उखड़ गया
उसने भी सबके साथ मेरी की मुखालिफत 
जिसके लिए मैं सारे जमाने से लड़ गया 
जिस दिन मेरे उरूज ( तरक्की ) की उसने खबर सुनी
उस दिन से उसका जहनी तवाजुम बिगड़ गया

Tuesday, October 5, 2021

समस्या और परेशानी

🐪🐪🐪🐪 सौ  ऊंट 🐪🐪🐪🐪

एक आदमी  राजस्थान  के  किसी  शहर  में  रहता  था . वह  ग्रेजुएट  था  और  एक  प्राइवेट  कंपनी  में  जॉब  करता  था . 
पर वो  अपनी  ज़िन्दगी  से  खुश  नहीं  था , हर  समय  वो  किसी  न  किसी  समस्या  से  परेशान  रहता  था  और  उसी  के बारे  में  सोचता  रहता  था .

एक बार  शहर  से  कुछ  दूरी  पर  एक  एक महात्मा  का  काफिला  रुका  हुआ  था . शहर  में  चारों  और  उन्ही की चर्चा  थी , 
बहुत  से  लोग  अपनी  समस्याएं  लेकर  उनके  पास  पहुँचने  लगे ,
 उस आदमी  को  भी  इस  बारे  में  पता चला, और  उसने  भी  महात्मा  के  दर्शन  करने  का  निश्चय  किया .
👀
छुट्टी के दिन  सुबह -सुबह ही उनके  काफिले  तक  पहुंचा .
 वहां  सैकड़ों  लोगों  की  भीड़  जुटी  हुई  थी , बहुत इंतज़ार  के  बाद उसका  का  नंबर  आया .

वह  बाबा  से  बोला  ,” बाबा , मैं  अपने  जीवन  से  बहुत  दुखी  हूँ ,
 हर  समय  समस्याएं  मुझे  घेरी  रहती  हैं , कभी ऑफिस  की  टेंशन  रहती  है , 
तो  कभी  घर  पर  अनबन  हो  जाती  है , और  कभी  अपने  सेहत  को  लेकर  परेशान रहता  हूँ ….
 बाबा  कोई  ऐसा  उपाय  बताइये  कि  मेरे  जीवन  से  सभी  समस्याएं  ख़त्म  हो  जाएं  और  मैं  चैन  से  जी सकूँ ?
😇
बाबा  मुस्कुराये  और  बोले , “ पुत्र  , आज  बहुत देर  हो  गयी  है  मैं  तुम्हारे  प्रश्न  का  उत्तर  कल  सुबह दूंगा …
लेकिन क्या  तुम  मेरा  एक  छोटा  सा  काम  करोगे …?”

“ज़रूर  करूँगा ..”, वो आदमी उत्साह  के  साथ  बोला .
“देखो  बेटा , हमारे  काफिले  में  सौ ऊंट  🐪 हैं  , 
और  इनकी  देखभाल  करने  वाला  आज  बीमार  पड़  गया  है , मैं  चाहता हूँ  कि  आज  रात  तुम  इनका  खयाल  रखो …
और  जब  सौ  के  सौ  ऊंट 🐪  बैठ  जाएं  तो  तुम   भी  सो  जाना …”,
 ऐसा कहते  हुए   महात्मा👳  अपने  तम्बू  में  चले  गए ..
😴
अगली  सुबह  महात्मा उस आदमी  से  मिले  और  पुछा , “ कहो  बेटा , नींद  अच्छी  आई .”

“कहाँ  बाबा , मैं  तो  एक  पल  भी  नहीं  सो  पाया , मैंने  बहुत  कोशिश  की  पर  मैं  सभी  ऊंटों🐪  को  नहीं  बैठा  पाया , 
कोई  न  कोई  ऊंट 🐪 खड़ा  हो  ही  जाता …!!!”,  वो  दुखी  होते  हुए  बोला .”
😒
“ मैं  जानता  था  यही  होगा …
आज  तक  कभी  ऐसा  नहीं  हुआ  है  कि  ये  सारे  ऊंट  एक  साथ  बैठ  जाएं …!!!”, 
“ बाबा  बोले .
😡
आदमी नाराज़गी  के  स्वर  में  बोला , “ तो  फिर  आपने  मुझे  ऐसा  करने  को  क्यों  कहा ”
😠
बाबा बोले  , “ बेटा , कल  रात  तुमने  क्या  अनुभव  किया , 
यही  ना  कि  चाहे  कितनी  भी  कोशिश  कर  लो  सारे  ऊंट 🐪एक  साथ  नहीं  बैठ  सकते … 
तुम  एक  को  बैठाओगे  तो  कहीं  और  कोई  दूसरा  खड़ा  हो  जाएगा  
😯
इसी  तरह  तुम एक  समस्या  का  समाधान  करोगे  तो  किसी  कारणवश  दूसरी खड़ी हो  जाएगी .. 
😨
पुत्र  जब  तक  जीवन  है  ये समस्याएं  तो  बनी  ही  रहती  हैं … कभी  कम  तो  कभी  ज्यादा ….”
😱
“तो  हमें  क्या  करना चाहिए  ?” , आदमी  ने  जिज्ञासावश  पुछा .
😳
“इन  समस्याओं  के  बावजूद  जीवन  का  आनंद  लेना  सीखो … 
कल  रात  क्या  हुआ   , कई  ऊंट 🐪  रात होते -होते  खुद ही  बैठ  गए  , 
कई  तुमने  अपने  प्रयास  से  बैठा  दिए , पर  बहुत  से  ऊंट 🐪 तुम्हारे  प्रयास  के  बाद  भी  नहीं बैठे …
और जब  बाद  में  तुमने  देखा  तो  पाया  कि तुम्हारे  जाने  के  बाद उनमे से कुछ खुद ही  बैठ  गए …. 
कुछ  समझे …. 
😊
"समस्याएं  भी  ऐसी  ही  होती  हैं , कुछ  तो  अपने आप ही ख़त्म  हो  जाती  हैं ,
  कुछ  को  तुम  अपने  प्रयास  से  हल  कर लेते  हो …
और  कुछ  तुम्हारे  बहुत  कोशिश  करने  पर   भी  हल  नहीं  होतीं ,
 ऐसी  समस्याओं  को   समय  पर  छोड़  दो … 
😶
उचित  समय  पर  वे खुद  ही  ख़त्म  हो  जाती  हैं ….
 और  जैसा  कि मैंने  पहले  कहा … जीवन  है
  तो  कुछ समस्याएं रहेंगी  ही  रहेंगी ….
 पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  की  तुम  दिन  रात  उन्ही  के  बारे  में  सोचते  रहो …
😱
 ऐसा होता तो ऊंटों 🐪की देखभाल करने वाला कभी सो नहीं पाता…. 
समस्याओं को  एक  तरफ  रखो  और  जीवन  का  आनंद  लो…
😊
 चैन की नींद सो …
😴
 जब  उनका  समय  आएगा  वो  खुद  ही  हल  हो  जाएँगी"... 
😊

  
         बिंदास मुस्कुराओ 😊क्या ग़म हे,..

         ज़िन्दगी में टेंशन😁 किसको कम हे..

          अच्छा 😍या बुरा 👹तो केवल भ्रम हे..

   जिन्दगी का नाम ही कभी ख़ुशी😊 कभी गम 😒हैं ।

Saturday, August 28, 2021

कृष्णा के अनुकूल

जीवन में तृष्णाएं इसलिए आगे आकर खड़ी हैं क्योंकि जीवन का लक्ष्य अभी श्रीकृष्ण से विपरीत है। अपनी पुष्टि करना है अपने अभिमान की पुष्टि करना है अभी लौकिक भौतिक जागतिक ऐहिक ऐन्द्रिक सुखानुभूतियों के प्रयत्न हैं इसलिए तृष्णा आगे है कृष्ण पीछे खड़े हैं 

जिस दिन जीवन का परम लक्ष्य श्रीगोविन्द की शरणागति हो जाएगा भक्त सबकुछ करता है पर आगे श्रीठाकुरजी को रखता है। 

जिस क्षण सूर्य की तरफ दौड़े उस क्षण स्वतः परछाई पीछे हो जाती है सूर्य आगे आते ही परछाई पीछे हो जाता है दिया जलते ही अंधकार मिट जाता है।   माया का होना ही इसकी खबर है कि अभी राम आए नहीं है। दीप प्रज्ज्वलित होते ही अंधकार निवृत्त हो जाता है। 

ये सब तभी प्रभाव पड़ेगा। इसलिए ये सब प्रभाव को छुटाने कि कोशिश ही क्यों की जाय? डंडा लेकर अंधकार को नहीं भगा सकते। दिया जला दो अंधकार अपने आप भाग जाएगा। 

क्या छोड़ना है क्या पाना है ये छोड़ो वो छोड़ो ये पाओ इसे पहचानो इसे त्यागो इसे पकड़ो। इन सब बवालों में पड़ते क्यूँ हो? सीधी-सीधी सी बात है श्रीगोविन्द के चरणारविंद की विशुद्ध अनुरक्ति श्रीगुरुकृपा से हो जाय प्रेम द्वीप प्रज्ज्वलित हो जाए 

भागवत जी ज्ञान के दीप को प्रज्ज्वलित कर देती हैं  ये आध्यात्म का दिया है। जैसे ही आध्यात्म का दिया प्रकट होता है अज्ञान की स्वतः निवृत्ति हो जाती है। 

इसलिए कृष्ण कितने प्राप्त हैं ये प्रश्न नहीं है वो तो सतत् सुलभ हैं बड़ी बात ये है कि हमारे भीतर श्रीकृष्ण की अनुकूलता कितनी है? कृष्णानुकूलनम्।।

आनुकूल्यता ही श्रीकृष्ण प्रेम का सबसे बड़ा प्रमाण है। वो अनुकूलता कितनी है? 

।। परमाराध्य पूज्य श्रीमन्माध्वगौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।

Tuesday, June 15, 2021

सुख दुख

🍁🍁
*सुखी आदमी के जूते*👞👞

*एक व्यक्ति अपने गुरु के पास गया और बोला, गुरुदेव, दुख से छूटने का कोई उपाय बताइए। शिष्य ने थोड़े शब्दों में बहुत बड़ा प्रश्न किया था। दुखों की दुनिया में जीना लेकिन उसी से मुक्ति का उपाय भी ढूंढना! बहुत मुश्किल प्रश्न था।*

*गुरु ने कहा, एक काम करो, जो आदमी सबसे सुखी है, उसके पहने हुए जूते लेकर आओ। फिर मैं तुझे दुख से छूटने का उपाय बता दूंगा।*

*शिष्य चला गया। एक घर में जाकर पूछा, भाई, तुम तो बहुत सुखी लगते हो। अपने जूते सिर्फ आज के लिए मुझे दे दो।*

*उसने कहा, कमाल करते हो भाई! मेरा पड़ोसी इतना बदमाश है कि क्या कहूं? ऐसी स्थिति में मैं सुखी कैसे रह सकता हूं? मैं तो बहुत दुखी इंसान हूं।*

*वह दूसरे घर गया। दूसरा बोला, अब क्या कहूं भाई? सुख की तो बात ही मत करो। मैं तो पत्नी की वजह से बहुत परेशान हूं। ऐसी जिंदगी बिताने से तो अच्छा है कि कहीं जाकर साधु बन जाऊं। सुखी आदमी देखना चाहते हो तो किसी और घर जाओ।*

*वह तीसरे घर गया, चैथे घर गया। किसी की पत्नी के पास गया तो वह पति को क्रूर बताती, पति के पास गया तो वह पत्नी को दोषी कहता। पिता के पास गया तो वह पुत्र को बदमाश बताता। पुत्र के पास गया तो पिता की वजह से खुद को दुखी बताता। सैकड़ों-हजारों घरों के चक्कर लगा आया। सुखी आदमी के जूते मिलना तो दूर खुद के ही जूते घिस गए।*

*शाम को वह गुरु के पास आया और बोला, मैं तो घूमते-घूमते परेशान हो गया। न तो कोई सुखी मिला और न सुखी आदमी के जूते।*

*गुरु ने पूछा, लोग क्यों दुखी हैं? उन्हें किस बात का दुख है?*

*उसने कहा, किसी का पड़ोसी खराब है। कोई पत्नी से परेशान, कोई पति से दुखी तो कोई पुत्र से परेशान है। आज हर आदमी दूसरे आदमी के कारण दुख भोग रहा है।*

*गुरु ने बताया, सुख का सूत्र है - दूसरे की ओर नहीं, बल्कि अपनी ओर देखो। खुद में झांको। खुद की काबिलियत पर गौर करो। प्रतिस्पर्द्धा करनी है तो खुद से करो, दूसरों से नहीं। जीवन तुम्हारी यात्रा है। दूसरों को देखकर अपने रास्ते मत बदलो। खुद को सुनो, खुद को देखो। यही सुख का सूत्र है।*

*शिष्य बोला, महाराज, बात तो आपकी सत्य है लेकिन यही आप मुझे सुबह भी बता सकते थे। फिर इतनी परिक्रमा क्यों करवाई?*

*गुरु ने कहा, वत्स, सत्य दुष्पाच्य होता है। वह सीधा नहीं पचता। अगर यह बात मैं सुबह बता देता तो तू हर्गिज नहीं मानता। जब स्वयं अनुभव कर लिया, सबकी परिक्रमा कर ली, सबके चक्कर लगा लिए, तो बात समझ में आ गई। अब ये बात तुम पूरे जीवन में नहीं भूलोगे।*

*जीवन तुम्हारी यात्रा है। दूसरों को देखकर अपने रास्ते मत बदलो।*

      सदा खुश रहें ....😅

Wednesday, June 2, 2021

सुविचार



.... जो गुजर गया उसके बारे में मत सोचो और भविष्य के सपने मत देखो
केवल वर्तमान पे ध्यान केंद्रित करो ।
                   *–

.... आप पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं भी ऐसे व्यक्ति को खोज लें जो आपको आपसे ज्यादा प्यार करता हो, आप पाएंगे कि जितना प्यार आप खुद से कर सकते हैं उतना कोई आपसे नहीं कर सकता।
                   *–

.... स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन और विश्वास सबसे अच्छा संबंध।
                  *–

.... हमें हमारे अलावा कोई और नहीं बचा सकता, हमें अपने रास्ते पे खुद चलना है।
                    *– 

.... तीन चीज़ें ज्यादा देर तक नहीं छुपी रह सकतीं – सूर्य, चन्द्रमा और सत्य
                   *– 

.... आपका मन ही सब कुछ है, आप जैसा सोचेंगे वैसा बन जायेंगे ।
                   *–

.... अपने शरीर को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ़ नहीं रख पाएंगे ।
                   *–

.... हम अपनी सोच से ही निर्मित होते हैं, जैसा सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं। जब मन शुद्ध होता है तो खुशियाँ परछाई की तरह आपके साथ चलती हैं ।
                    *–

.... किसी परिवार को खुश, सुखी और स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरुरी है - अनुशासन और मन पर नियंत्रण।
अगर कोई व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण कर ले तो उसे आत्मज्ञान का रास्ता मिल जाता है
                   *– 

.... क्रोध करना एक गर्म कोयले को दूसरे पे फैंकने के समान है जो पहले आपका ही हाथ जलाएगा।
                    *–

.... जिस तरह एक मोमबत्ती की लौ से हजारों मोमबत्तियों को जलाया जा सकता है फिर भी उसकी रौशनी कम नहीं होती उसी तरह एक दूसरे से खुशियाँ बांटने से कभी खुशियाँ कम नहीं होतीं ।
                   *–

.... इंसान के अंदर ही शांति का वास होता है, उसे बाहर ना तलाशें ।
                  *– 

.... आपको क्रोधित होने के लिए दंड नहीं दिया जायेगा, बल्कि आपका क्रोध खुद आपको दंड देगा ।
                  *– 

.... हजारों लड़ाइयाँ जितने से बेहतर है कि आप खुद को जीत लें, फिर वो जीत आपकी होगी जिसे कोई आपसे नहीं छीन सकता ना कोई स्वर्गदूत और ना कोई राक्षस ।
                  *–

.... जिस तरह एक मोमबत्ती बिना आग के खुद नहीं जल सकती उसी तरह एक इंसान बिना आध्यात्मिक जीवन के जीवित नहीं रह सकता ।
                 *– 

.... निष्क्रिय होना मृत्यु का एक छोटा रास्ता है, मेहनती होना अच्छे जीवन का रास्ता है, मूर्ख लोग निष्क्रिय होते हैं और बुद्धिमान लोग मेहनती ।
                   *– 

.... हम जो बोलते हैं अपने शब्दों को देखभाल के चुनना चाहिए कि सुनने वाले पे उसका क्या प्रभाव पड़ेगा,
अच्छा या बुरा ।
                  *–

.... आपको जो कुछ मिला है उस पर घमंड ना करो और ना ही दूसरों से ईर्ष्या करो, घमंड और ईर्ष्या करनेवाले लोगों को कभी मन की शांति नहीं मिलती ।
                   *–

.... अपनी स्वयं की क्षमता से काम करो, दूसरों निर्भर मत रहो ।
                *–

..... असल जीवन की सबसे बड़ी विफलता है हमारा असत्यवादी होना ।
                *–  

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏