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Thursday, May 29, 2014

इमली-
इमली से हम सब परिचित हैं | इमली के वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सडकों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाए जाते हैं | इमली का वृक्ष उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा मेडागास्कर का मूल निवासी है | वहां से यह भारत में आया और अब पूरे भारतवर्ष में प्राप्त होता है | यहाँ से ईरान तथा सऊदी अरब में पहुंचा जहाँ इसे तमार-ए-हिन्द (भारत का खजूर ) कहते हैं |इसका पुष्पकाल फ़रवरी से अप्रैल तथा फलकाल नवंबर से जनवरी तक होता है | इसके फल में शर्करा,टार्टरिक अम्ल,पेक्टिन,ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट तथआ खनिज लवण प्राप्त होते हैं | यह कैल्शियम,लौह तत्व,विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है |आज हम आपको इमली के औषधीय गुणों से अवगत करा रहे हैं -
१- १० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर,मसल-छानकर ,शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है |
२- इमली को पानी में डालकर ,अच्छी तरह मसल- छानकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है|
३- १० ग्राम इमली को १ लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे १० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर,छानकर, कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है |
४-इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को ४०० मिलीलीटर पानी में पकाकर ,एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है |
५- इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है |
६-इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है |
७- गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं ,अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं |
नोट -- चूँकि इमली खट्टी होती है अतः इसे भिगोने के लिए कांच या मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिए |
नाव की जंजीर जैसे तट से बंधी रह गयी थी, ऐसे ही इस स्थिति में वह भी कहीं बंधा रह जाता है। इस बंधन को धर्म ने वासना कहा है। 
वासना से बंधा मनुष्य, आनंद के निकट पहुंचने के भ्रम में बना रहता है। पर उसकी दौड़ एक दिन मृग-मरीचिका सिद्ध होती है। वह कितनी ही पतवार चलाये, उसकी नाव अतृप्ति के तट को छोड़ती ही नहीं है। वह रिक्त और अपूर्ण ही जीवन को खो देता है। वासना स्वरूपत: दुष्पूर है। जीवन चूक जाता है- वह जीवन जिसमें दूसरा किनारा पाया जा सकता था, वह जीवन जिसमें यात्रा पूरी हो सकती थी, व्यर्थ हो जाता है और पाया जाता है कि नाव वहीं की वहीं खड़ी है।
प्रत्येक नाविक जानता है कि नाव को सागर में छोड़ने के पहले तट से खोलना पड़ता है। प्रत्येक मनुष्य को भी जानना चाहिए कि आनंद के, पूर्णता के, प्रकाश के सागर में नाव छोड़ने के पूर्व तट वासना की जंजीरें अलग कर लेनी होती हैं। 
इसके बाद तो फिर शायद पतवार भी नहीं चलानी पड़ती है! रामकृष्ण ने कहा है, 'तू नाव तो छोड़, पाल तो खोल, प्रभु की हवाएं प्रतिक्षण तुझे ले जाने को उतसुक है !!
💫जो बाँधने से बँधे और तोड़ने से टूट जाए, उसका नाम
"बँधन"
जो अपने आप बन जाए और जीवन भर ना टूटे, उसका नाम 
"संबंध"
असली शहद जांचने का तरीका
१. रुई की बत्ती बनाकर उसको शहद में डुबो कर आग पर जलाये. अगर जलने पर तड-तड आवाज आती है तो समझिये शहद में मिलावट है. शुद्ध शहद होने पर कोई आवाज नहीं आती है.
२. एक कांच के गिलास में पानी ले और शहद डाले. अगर शहद बिना घुले नीचे तक पहुच जाता है तो शहद शुद्ध है. अशुद्ध शहद नीचे पहुँचने से पहले ही घुलने लगेगा.

Monday, May 26, 2014


एसिडिटी
 के घरेलू उपचार:

1-विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।

2-व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।

3-खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।

4-बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करने में मदद करता है।

5-खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।

6-पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।

7-नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।

8-तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।

9-नारियल पानी का सेवन अधिक करें।

पित्त वृद्धि [acid ]

पित्त वृद्धि
आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मानव शरीर , प्रकृति में व्याप्त पांच तत्वों से मिलकर बना है ये तत्व हैं -वायु,जल,अग्नि,आकाश और पृथ्वी |
आयुर्वेद ने इन पांच तत्वों को मूल तत्व समझते हुए इनकी उपस्थिति को वात ,पित्त और कफ के नाम से संज्ञान में लिया है | दिन के मध्य प्रहर और रात्री के मध्य प्रहर में पित्त बढ़ता है।
पित्त की वृद्धि से कब्ज़ ,सिरदर्द ,भूख न लगना ,सुस्ती आदि के लक्षण होते हैं | पित्त की वृद्धि का उपचार विभिन्न औषधियों द्वारा किया जा सकता है :--
१-हरीतकी का चूर्ण सुबह -शाम मिश्री के साथ खाने से पित्त की वृद्धि ठीक होती है और जलन भी शांत होती है |
२-पित्त बढ़ने पर मुनक्के का सेवन भी अति लाभकारी है | इससे भी पित्त की जलन दूर होती है |
३- कागज़ी नींबू का शरबत सुबह -शाम पीने से पित्त की वृद्धि बंद हो जाती है |
४-गिलोय का रस 10 ml रोज़ तीन बार शहद में मिलाकर लेने से लाभ होता है |
५-छोटी इलायची सुबह -शाम खाने से पित्त में लाभ होता है |
- सौंफ , धनिया ( सुखा या हरा ) , हिंग , अजवाइन , आंवला आदि पित्त को नियंत्रित करते है।
- सुबह सुबह छाछ , निम्बू पानी , नारियल पानी , मूली , फलों के रस आदि के सेवन से पित्त नहीं बढ़ता।

Wednesday, May 21, 2014

एक बार ब्रह्माजी दुविधा में पड़ गए। लोगों की बढ़ती साधना वृत्ति से वह प्रसन्न तो थे पर इससे उन्हें व्यावहारिक मुश्किलें आ रही थीं। कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में पड़ता, तो ब्रह्माजी के पास भागा-भागा आता और उन्हें अपनी परेशानियां बताता। उनसे कुछ न कुछ मांगने लगता। ब्रहाजी इससे दुखी हो गए थे। अंतत: उन्होंने इस समस्या के निराकरण के लिए देवताओं की बैठक बुलाई और बोले, ‘देवताओं, मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूं। कोई न कोई मनुष्य हर समय शिकायत ही करता रहता है, जिससे न तो मैं कहीं शांति पूर्वक रह सकता हूं, न ही तपस्या कर सकता हूं। आप लोग मुझे कृपया ऐसा स्थान बताएं जहां मनुष्य नाम का प्राणी कदापि न पहुंच सके।’
ब्रह्माजी के विचारों का आदर करते हुए देवताओं ने अपने-अपने विचार प्रकट किए। गणेश जी बोले, ‘आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएं।’ ब्रह्माजी ने कहा, ‘यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में है। उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा।’ इंद्रदेव ने सलाह दी कि वह किसी महासागर में चले जाएं। वरुण देव बोले ‘आप अंतरिक्ष में चले जाइए।’
ब्रह्माजी ने कहा, ‘एक दिन मनुष्य वहां भी अवश्य पहुंच जाएगा।’ ब्रह्माजीनिराश होने लगे थे। वह मन ही मन सोचने लगे, ‘क्या मेरे लिए कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं है, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं।’ अंत में सूर्य देव बोले, ‘आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं। मनुष्य इस स्थान पर आपको ढूंढने में सदा उलझा रहेगा।’ ब्रह्माजी को सूर्य देव की बात पसंद आ गई। उन्होंने ऐसा ही किया। वह मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए। उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए ब्रह्माजीको ऊपर ,नीचे, दाएं, बाएं, आकाश, पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहे। मनुष्य अपने भीतर बैठे हुए देवता को नहीं देख पा रहा है।
अतिपरिचयादवज्ञा संततगमनात् अनादरो भवति।
मलये भिल्ला पुरंध्रती चंदनतरुकाष्ठम् इंधनम् कुरुते॥
अत्यधिक जान पहचान से अपमान और किसी से लगातार अत्यधिक सम्पर्क से अनादर होता है। देखिए, मलायाचल के वन में रहने वाली भील स्त्री मलय के चन्दन को काष्ठ का ईन्धन बना कर जला देती है। इसी बात को कवि वृन्द ने इस प्रकार से कहा हैः
अति परिचै ते होत है, अरुचि अनादर भाय।
मलयागिरि की भीलनी चन्दन देति जराय॥
भक्ति दुवारा साँकरा, राई दशवें भाय।
मन को मैगल होय रहा, कैसे आवै जाय॥
मानव जाति को भक्ति के विषय में ज्ञान का उपदेश करते हुए कबीरदास जी कहते है कि भक्ति का द्वार बहुत संकरा है जिसमे भक्त जन प्रवेश करना चाहते है। वह इतना संकरा है कि राई के दाने के दशवे भाग के बरोबर है। अहंकारी मनुष्य का मन हाथी की तरह विशाल है अर्थात अहंकार से भरा है. वह अहंकार को त्यागे बगैर भक्ति के द्वार में कदापि प्रवेश नहीं कर सकता।

धर्म का रास्ता.........

धर्म का रास्ता ऐसे ही है जैसे आकाश में पक्षी उड़ते हैं।
जो आदमी भीड़ के पीछे चलता है वह आदमी झूठे धर्म के रास्ते पर चलेगा। जो आदमी अकेला चलने की हिम्मत जुटाता है वह आदमी धर्म के रास्ते पर जा सकता है।
कुछ थोड़े से लोग कभी भीड़ से चूक जाते हैं और उस रास्ते पर चले जाते हैं जो धर्म का रास्ता है। और ध्यान रहे, भीड़ कभी धर्म के रास्ते पर नहीं जाती। धर्म के रास्ते पर अकेले लोग जाते हैं। क्योंकि धर्म के रास्ते पर कोई राजपथ नहीं है, जिस पर करोड़ों लोग इकट्ठे चल सकें। धर्म का रास्ता पगडंडी की तरह है, जिस पर अकेला आदमी चलता है। दो आदमी भी साथ नहीं चल सकते। और यह भी ध्यान रहे, धर्म का रास्ता कुछ रेडीमेड, बना- बनाया नहीं है, कि पहले से तैयार है, आप जाएंगे और चल पड़ेंगे। धर्म का रास्ता ऐसे ही है जैसे आकाश में पक्षी उड़ते हैं। कोई रास्ता नहीं है बना हुआ, पक्षी उड़ता है और रास्ता बनता है, जितना उड़ता है उतना रास्ता बनता है। और ऐसा भी नहीं है कि एक पक्षी उड़े तो रास्ता बन जाए, तो दूसरा उसके पीछे उड़ जाए। फिर रास्ता मिट जाता है। उड़ा पक्षी, आगे बढ़ गया, आकाश में कोई निशान नहीं बनते।
सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर
ही उत्तर मिल गये !
छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !
पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !
घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !
शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक
लो !
खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !
कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो !
दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के
लिए पूरा जोर लगाओ !
लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं------
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं
जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं
खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं
और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..
एक रूपया एक लाख नहीं होता ,
मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता
हम आपके लाखों दोस्तों में बस वही एक रूपया हैं … संभाल के रखनT , बाकी सब मोह माया है..
दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करना बंद करो, क्योंकि यह एक मात्र ढंग है जिससे तुम आत्महत्या कर सकते हो। तुम यहां किसी की भी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए नहीं हो और कोई भी यहां तुम्हारी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए नहीं हैं। दूसरों की अपेक्षाओं के कभी भी शिकार मत बनो और किसी दूसरे को अपनी अपेक्षाओं का शिकार मत बनाओ।
यही है जिसे मैं निजता कहता हूं। अपनी निजता का सम्मान करो और दूसरों की निजता का भी सम्मान करो। कभी भी किसी के जीवन में हस्तक्षेप मत करो और किसी को भी अपने जीवन में हस्तक्षेप मत करने दो। सिर्फ तब ही एक दिन तुम आध्यात्मिकता में विकसित हो सकते हो।
काजल के हैं कई प्रयोग अलग-अलग तरीको से

क्‍या आप जानती है कि एक मेकअप का प्रोडक्‍ट कितनी ही तरीके से इस्‍तमाल किया जा सकता है। इसी तरह से एक काजल से भी आप अपने कई काम निपटा सकती हैं। चलिये देखते हैं कि किस तरह से काजल का प्रयोग अलग-अलग तरीको से किया जा सकता है।
1. आंखों के नीचे- अगर आपको आंखों के नीचे गहरी या पलती काली रेखा खीचनी है तो आप काजल का प्रयोग इसी प्रकार से कर सकती हैं। अगर आंखों के नीचे गाढी रेखा खींचेगी तो आपकी आंखे बहुत सुंदर दिखने लगेगी।
2. आईलाइनर की तरह- आईलाइनर की जगह पर आप काजल का प्रयोग कर सकती हैं। पलको पर काजल को बिल्‍कुल उसी पैटर्न में लगाएं जैसे आप आईलाइनर को लगाती हैं। यदि आप पलको के किनारे एक छोटी सी रेखा खींच देंगी तो यह अंइरज आपके वेस्‍टर्न और इंडियन दोंनो की लुक पर काम कर जाएगा।
3. बिन्‍दी- हिन्‍दुस्‍तानी कपड़े के साथ बिन्‍दी बहुत ही खूबसूरत लगती है। बस काजल की टिप से एक छोटी सी बिन्‍दी अपने माथे पर रख दीजिये । बिन्‍दी का साइज बडा़ या छोटी कर सकती हैं।
4. आईशैडो की तरह- गाढे रंगे के आईमेकअप के लिये आप काजल का प्रयोग कर सकती हैं। अपनी उंगलियों पर थोड़ा सा काजल लें और उसे मसल कर अपनी ऊपरी पलकों पर लगा दें। इसे चाहें तो गहरा लगाएं या फिर हल्‍के रंग का।
5. सफेद बालों को छुपाएं- अगर आपके सिर पर एक या दो सफेद रंग के बाल हैं तो आप उन्‍हें काजल लगा कर छुपा सकती हैं।
6. आईब्रो लाइनर- अपनी आईब्रो को शेप देने के लिये आप आईलाइनर का उपयोग कीजिये।
« « हल्‍की आई ब्रो को ऐसे बनाइये घना|

Wednesday, May 7, 2014

DROP THE I - BEFORE - I DROPS U........

शहतूत.....

गर्मियां अभी अच्छी तरह से नहीं आई लेकिन बाजार में शहतूत (Shahtoot) मिलने लगे हैं. गर्मियों में शहतूत आपके दिमाग, और शरीर दोनों को चुस्त दुरुस्त रखता है. शहतूत के शर्बत (Shahtoot Sharbat) के तो क्या कहने!
यदि आपके शहर में शहतूत उपलब्ध हों तो इसका शर्बत अवश्य बनाईये. इसका शर्बत बनाना बहुत आसान है.
आवश्यक सामग्री - Ingredients for Shahtoot Sharbat
शहतूत - 200 ग्राम
चीनी - 200 ग्राम
पानी - 1.5
नीबू - 1
बर्फ के क्य़ूब्स -
शहतूत की डंडिया तोड़कर साफ कर लीजिये और इसे शहतूत को अच्छी तरह से धो लीजिये, शहतूत और चीनी मिलाकर मिक्सर में डालिये और बारीक पीस लीजिये.
पिसे हुये शहतूत के पेस्ट में पानी मिलाइये और छान लीजिये. नीबू का रस निचोड़ कर मिला दीजिये.शहतूत का शरबत (Shahtoot Sharbat) तैयार है, शरबत को गिलासों में डालिये, बर्फ का क्रस डाल कर पीने के लिये दीजिये और पीजिये. 200 शहतूत से बने शर्बत को को 8 - 10 गिलास में भरा जा सकता है.
शहतूत के शरबत (Shahtoot Sharbat) को फ्रिज में रखकर आप दूसरे दिन तक परोस सकते हैं लेकिन सबसे अच्छा तो यह है कि आप इसे एकदम ताजा ही परोसें !!!

Tuesday, May 6, 2014

नहीं हो सकता.....

आलसी सुखी नहीं हो सकता , 
निद्रालु विद्या (पढने ) का अभ्यासी नहीं हो सकता ,
माया मोह में फसा व्यक्ति वैरागी नहीं हो सकता ,
और हिंसक व्यक्ति कभी दयावान नहीं हो सकता........

मौन......

..इतना कुछ होते हुए भी
शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी...
...मौन होना सब से बेहतर है। 

नज़र रखो......

नज़र रखो अपने 'विचार' पर, क्योंकि वे ''शब्द'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'शब्द' पर, क्योंकि वे ''कार्य'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'कार्य' पर, क्योंकि वे ''स्वभाव'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'स्वभाव' पर, क्योंकि वे ''आदत'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'आदत' पर, क्योंकि वे ''चरित्र'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'चरित्र' पर, क्योंकि उससे ''जीवन आदर्श'' बनते हैँ। 

मित्रता....

मित्रता एक वन वे सड़क है जिस पर दो मित्र चलते है----
एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले,
एक दूसरे का ध्यान रखते हुए,
एक दूसरे से प्रत्येक चीज / बात साझा करते हुए,
एक दूसरे को क्षमा करते हुए और 
एक दूसरे को मौन आश्वासन देते हुए कि
मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ !!!

अंतरात्मा की आवाज़ सुने ...

अंतरात्मा की आवाज़ सुने ...
कई बार जीवन में हम करने कुछ जाते है और हमारा मन जिसे हम अंतर्मन भी कहते है कुछ और कहता है ! ऐसे में थोडा रूककर ,विचार करके, कार्य करेबी ! हो सकता है कभी कभी सांसारिक दृष्टी से वो कार्य आपके हित का न लगे थोडा नुक्सान लगे मगर अंतर्मन की आवाज़ की १००% न भी सुने तो भी उसे पूरा दबाये न उसे जीवित रखे यकीं मानिए एक बार भी जीवन में अंतर्मन की आवाज़ सुनने और उस पर अमल करने की राह पकड़ ली तो जीवन की दशा और दिशा दोनों सुदृढ़ ,सुचारू और व्यस्वस्थित हो जायेगी !!!

खीरा.....

खीरे या उसके जूस में पाए जाने वाले पोषक तत्व कब्ज और एसिडिटी की समस्या को दूर करते हैं। पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के अलावा यह गेस्ट्रिक और छोटी आंत के अल्सर में मरीजों के लिए दवा का काम करता है। खीरे में 96 प्रतिशत पानी होता है, जो किसी भी कंपनी के बोतलबंद पानी से बेहतर है, जो प्राकृतिक रूप से शुद्ध होता है। खीरे में अल्कालिन फॉमिंग मिनरल्स (क्षारीय तत्व) होता है, इसीलिए इसे ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी प्रयोग किया जाता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट का काम करने वाले विटामिन ए, सी, मैंगनीज, पोटेशियम, सिलिका और सल्फर होते हैं। खीरा बहुत कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ है। 100 ग्राम खीरे में 54 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसलिए इसे खाने से वजन नहीं बढ़ता। यह ब्लड प्रेशर को भी कम करता है, लेकिन इस समस्या के मरीज खीरे में नमक लगाकर ना खाएं। खीरा शरीर से विषैले पदार्थो को यूरिन के रास्ते बाहर निकाल देता है। बुखार आने पर खीरे का जूस पीएं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है। यदि अपच की शिकायत हो, तो भोजन के साथ सलाद के रूप में खीरा खाएं। खीरे को गोल काटकर आंखों पर रखने से जलन दूर होती है। रोजाना सलाद के तौर पर काला नमक, कालीमिर्च और नीबू मिलाकर खाएं। रायता बनाकर भी खा सकते हैं।