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Tuesday, June 24, 2014

बाज की उड़ान
एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-
” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
दोस्तों , हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपनी असली सामर्थ्य शाक्ति जाने बिना एक साधारण ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की साधारण परिस्थिति हमें भी साधारण बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
आप चूजों की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.
टमाटर (रक्तवृन्ताक) -
टमाटर मूलतः उष्णकटिबंधीय दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी क्षेत्रों में पाया जाता है,परन्तु अब सर्वत्र भारत में इसकी खेती की जाती है | टमाटर में कई प्रकार के पौष्टिक गुण पाये जाते हैं | टमाटर में पाये जाने वाले विटामिन गर्म करने से ख़त्म नहीं होते हैं | टमाटर में विटामिन A ,B और C तथा B काम्प्लेक्स पाया जाता है | २०० ग्राम टमाटर से लगभग ४० कैलोरी ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है | टमाटर में कैल्शियम भी अन्य फल सब्ज़ियों की तुलना में अधिक पाया जाता है | दांतों व हड्डियों की कमज़ोरी दूर करने के लिए टमाटर का सेवन बहुत उपयोगी है | इसमें लौह,पोटाश,चूना,लवण तथा मैग्नीस जैसे तत्व भी होते हैं इसलिए इसके सेवन से शरीर में रक्त की वृद्धि होती है | टमाटर लीवर,गुर्दा और अन्य रोगों को ठीक करने में लाभकारी है |
टमाटर के कुछ औषधीय प्रयोग -
१- मधुमेह की बीमारी में टमाटर का सेवन अति लाभकारी है | इसके सेवन से रोगी के मूत्र में शक्कर आना धीरे-धीरे कम हो जाता है |
२- टमाटर के सेवन से चिड़चिड़ापन और मानसिक कमज़ोरी दूर होती है | यह मानसिक थकान को दूर करके मस्तिष्क को संतुलित बनाए रखता है |
३- प्रतिदिन लगभग २०० ग्राम टमाटर के सेवन से रतौंधी और अल्पदृष्टि (आँखों से कम दिखाई देना) में लाभ होता है | इस प्रयोग से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं |
४- दिन में दो बार टमाटर या उसके रस के सेवन से कब्ज़ ख़त्म होती है तथा आमाशय व आँतों की सफाई हो जाती है |
५- जिन लोगों को मुँह में बार-बार छाले होते हों उन्हें टमाटर का सेवन अधिक करना चाहिए | टमाटर के रस में पानी मिलाकर कुल्ला करें,इससे भी मुँह के छाले ख़त्म होते हैं|
६- अगर चेहरे पर काले दाग या धब्बे हों तो टमाटर के रस में रुई भिगोकर लगाने से काले दाग-धब्बे ख़त्म हो जाते हैं |
टमाटर का उपयोग आमवात,अम्लपित्त,सूजन,संधिवात और पथरी के रोगियों को नहीं करना चाहिए,क्यूंकि यह उनके लिए हानिकारक होता है | मांसपेशियों में दर्द तथा शरीर में सूजन हो तो टमाटर नहीं खाना चाहिए |

पीपल का पत्ता.....

 हों।
प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर
अलग कर दें।
पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक
गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब
पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर
साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें,
दवा तैयार।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद
प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के
पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय
पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने
की संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक
बार प्रयोग अवश्य करें।
* पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत
क्षमता है।
* इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे
व 2 बजे ली जा सकती हैं।
* खुराक लेने से पहले पेट एक दम
खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व
हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।
* प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस,
मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें।
नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें।
* अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब
का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश,
गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें । ...........तो अब समझ आया,
भगवान ने पीपल के पत्तों को हार्टशेप
क्यों बनाया............
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कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे.......
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(इन बीमारियों में है रामबाण)
लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।

1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।

2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।

3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।

4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।

5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।

8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।

9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।

11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।

12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।
13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।
लहसुन की बदबू-
अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।

गाय का घी.....

गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है।
गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है।
हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है.
फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है। गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है। सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।
गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक मलहम कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।
गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है।
अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।
मुलेठी (यष्टीमधु ) -
मुलेठी से हम सब परिचित हैं | भारतवर्ष में इसका उत्पादन कम ही होता है | यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयातित की जाती है| मुलेठी की जड़ एवं सत सर्वत्र बाज़ारों में पंसारियों के यहाँ मिलता है | चरकसंहिता में रसायनार्थ यष्टीमधु का प्रयोग विशेष रूप से वर्णित है | सुश्रुत संहिता में यष्टिमधु फल का प्रयोग विरेचनार्थ मिलता है | मुलेठी रेशेदार,गंधयुक्त तथा बहुत ही उपयोगी होती है | यह ही एक ऐसी वस्तु है जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है | मुलेठी वातपित्तशामक है | यह खाने में ठंडी होती है | इसमें ५० प्रतिशत पानी होता है | इसका मुख्य घटक ग्लीसराइज़ीन है जिसके कारण ये खाने में मीठा होता है | इसके अतिरिक्त इसमें घावों को भरने वाले विभिन्न घटक भी मौजूद हैं | मुलेठी खांसी,जुकाम,उल्टी व पित्त को बंद करती है | यह पेट की जलन व दर्द,पेप्टिक अलसर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है |
आज हम आपको मुलेठी के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -
१- मुलेठी चूर्ण और आंवला चूर्ण २-२ ग्राम की मात्रा में मिला लें | इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है |
२- मुलेठी-१० ग्राम
काली मिर्च -१० ग्राम
लौंग -०५ ग्राम
हरड़ -०५ ग्राम
मिश्री - २० ग्राम
ऊपर दी गयी सारी सामग्री को मिलाकर पीस लें | इस चूर्ण में से एक चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ चाटने से पुरानी खांसी और जुकाम,गले की खराबी,सिर दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं |
३- एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है |
४- मुलेठी को मुहं में रखकर चूंसने से मुहँ के छाले मिटते हैं तथा स्वर भंग (गला बैठना) में लाभ होता है |
५- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट और आँतों की ऐंठन व दर्द का शमन होता है |
६- फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं |
प्याज के अद्भुत लाभ -----
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- प्याज काट कर रखने से यह वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया सोख लेता है.
- कान दर्द : प्याज गर्म राख में भुनकर उसका पानी निचोड़कर कान में डाले। दर्द में तुरंत लाभ होगा
- मोतिया बिन्द : प्याज का रस एक तोला, असली शहद एक तोला, भीमसेनी कपूर तीन माशे सबको खूब मिलाकर लगाने से मोतिया का असर नहीं होता।
- पेट के कीड़े-प्याज का कच्चा रस पिलाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हें
- बारूद से जलने पर- यदि शरीर का कोई भाग बारूद से जल जाये तो उस स्थान पर प्याज का रस लगाने से लाभ होता है।
- कब्‍ज दूर करता है .
- गले की खराश मिटाए- यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीडित हैं तो आप ताजे प्‍याज का रस पीजिये। इमसें गुड या फिर शहद मिलाया जा सकता है।
- ब्‍लीडिंग समस्‍या दूर करे- नाक से खून बह रहा हो तो कच्‍चा प्‍याज काट कर सूघ लीजिये।
- पाइल्‍स की समस्‍या में सफेद प्‍याज खाना शुरु कर दें। - मधुमेह करे कंट्रोल- कच्‍चा प्याज खाया जाए तो यह शरीर में इंसुलिन उत्‍पन्‍न करेगा।
- दिल की सुरक्षा- कच्‍चा प्‍याज हाई ब्‍लड प्रेशर को नार्मल करता है और बंद खून की धमनियों को खोलता है जिससे दिल की कोई बीमारी नहीं होती।
- कोलेस्‍ट्रॉल कंट्रोल करे- इसमें मिथाइल सल्‍फाइड और अमीनो एसिड होता है जो कि खराब कोलेस्‍ट्रॉल को घटा कर अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढाता है।
- कैंसर सेल की ग्रोथ रोके- प्‍याज में सल्‍फर तत्‍व अधिक होते हैं। सल्‍फर शरीर को पेट, कोलोन, ब्रेस्‍ट, फेफडे और प्रोस्‍टेट कैंसर से बचाता है।
- एनीमिया ठीक करे- प्‍याज काटते वक्‍त आंखों से आंसू टपकते हैं, ऐसा प्‍याज में मौजूद सल्‍फर की वजह से होता है। इस सल्‍फर में एक तेल मौजूद होता है जो कि एनीमिया को ठीक करने में सहायक होता है। खाना पकाते वक्‍त यही सल्‍फर जल जाता है, तो ऐसे में कच्‍चा प्‍याज खाइये।
- बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। गिरते हुए बालों के स्थान पर प्याज का रस रगडने से बाल गिरना बंद हो जाएंगे। इसके अलावा लेप लगाने पर काले बाल उगने शुरू हो जाते हैं।
- पथरी की शिकायत में प्याज बहुत उपयोगी है। प्याज के रस को चीनी में मिलाकर शरबत बनाकर पीने से पथरी की से निजात मिलता है। प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी अपने-आप कटकर बाहर निकल जाती है।
- गठिया के लिए – गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। गठिया में सरसों का तेल व प्याज का रस मिलाकर मालिश करें, फायदा होगा।
- प्याज का पेस्ट लगाने से फटी एडियों को राहत मिलती है।
- दांत में पायरिया है, तो प्याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म कीजिए और दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लीजिए। इस प्रकार 10-12 मिनट में लार मुंह में इकट्ठी हो जाएगी। उसे मुंह में चारों ओर घुमाइए फिर निकाल फेंकिए। दिन में 4-5 बार 8-10 दिन करें, पायरिया जड़ से खत्म हो जाएगा, दांत के कीड़े भी मर जाएंगे और मसूड़ों को भी मजबूती प्राप्त होगी ।
- प्याज के सेवन से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
- प्याज के रस का नाभि पर लेप करने से पतले दस्त में लाभ होता है। अपच की शिकायत होने पर प्याज के रस में थोड़ा-सा नमक मिलाकर सेवन करें।
- सफेद प्याज के रस में शहद मिलाकर सेवन करना दमा रोग में बहुत लाभदायक है।

Thursday, June 19, 2014

मुनक्का 

मुनक्कों से तो हम सब परिचित हैं | इसकी प्रकृति गर्म होती है | इसका प्रयोग करने से प्यास शांत हो जाती है व यह गर्मी और पित्त को ठीक करता है | यह पेट और फेफड़ों के रोगों में भी बहुत लाभकारी है | आज हम जानेंगे मुनक्कों से विभिन्न रोगों का उपचार ---------
१ - 10 -12 मुनक्के धोकर रात को पानी में भिगो दें | सुबह को इनके बीज निकालकर खूब चबा -चबाकर खाएं , तीन हफ़्तों तक यह प्रयोग करने से खून साफ़ होता है तथा नकसीर में भी लाभ होता है |

२ - 5 मुनक्के लेकर उसके बीज निकल लें , अब इन्हें तवे पर भून लें तथा उसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिला लें | इन्हें कुछ देर चूस कर चबा लें ,खांसी में लाभ होगा |

३- बच्चे यदि बिस्तर में पेशाब करते हों तो उन्हें 2 मुनक्के बीज निकालकर व उसमें एक-एक काली मिर्च डालकर रात को सोने से पहले खिला दें , यह प्रयोग लगातार दो हफ़्तों तक करें , लाभ होगा |

४- पुराने बुखार के बाद जब भूख लगनी बंद हो जाए तब 10 -12 मुनक्के भून कर सेंधा नमक व कालीमिर्च मिलाकर खाने से भूख बढ़ती है |

५ - यदि किसी को कब्ज़ की समस्या है तो उसके लिए शाम के समय 10 मुनक्कों को साफ़ धोकर एक गिलास दूध में उबाल लें फिर रात को सोते समय इसके बीज निकल दें और मुनक्के खा लें तथा ऊपर से गर्म दूध पी लें , १इस प्रयोग को नियमित करने से लाभ स्वयं महसूस करें | इस प्रयोग से यदि किसी को दस्त होने लगें तो मुनक्के लेना बंद कर दें |

६- मुनक्के के सेवन से कमजोरी मिट जाती है और शरीर पुष्ट हो जाता है |

७- मुनक्के में लौह तत्व [ Iron ] की मात्रा अधिक होने के कारण यह [ Heamoglobin ] खून के लाल कण को बढ़ाता है अतः रंग को है |

८ - 4-5 मुनक्के पानी में भिगोकर खाने से चक्कर आने बंद हो जाते हैं |

Tuesday, June 3, 2014

पथरी....

पथरी.....
मित्रो जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )
क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|
आयुर्वेदिक इलाज !
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पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!
होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये|
(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |
इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महिने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |
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ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???
इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|
मोटापा [Obesity]
मोटापा एक बीमारी है जो अनेक कारणों से होती है यथा व्यायाम न करना , हर समय आराम करना , अधिक मात्रा में चिकने व मीठे पदार्थों का सेवन आदि | कुछ लोगों में मोटापा वंशानुगत भी होता है | मोटापे के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है और वायु संचरण में रुकावट महसूस होती है| मोटापे के कारण त्वचा फूल जाती है जिससे शरीर पूर्ण रूप से वायु ग्रहण नहीं कर पाता | अधिक चर्बी के कारण हृदय पर भी प्रभाव पढता है जिससे हृदय की गति धीमी हो जाती है|
मोटापे से छुटकारा पाने के लिये जीवनशैली में परिवर्तन की आवश्यकता होती है | आईये जानते हैं इससे छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय -
१- मोटापे से पीड़ित व्यक्ति को प्रातःकाल उठकर टहलना चाहिए तथा आसान व प्राणायाम का अभ्यास नियमित रूप से करना चाहये | ऐसा करने से वजन बहुत तेज़ी से घटता है |
२- २५ मिलीलीटर में नींबू के रस में २५ ग्राम शहद मिलाकर १०० मिलीलीटर गुनगुने पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है |
३- सूखा धनिया,मिश्री और मोटी सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है | मधुमेह के रोगी यह प्रयोग न करें |
४- तुलसी के पत्तों का रस १० बूँद और शहद २ चम्मच को एक गिलास पानी में मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा कम होता है |
५- टमाटर और प्याज में थोड़ा सा सेंधा नमक और थोड़ी सी पीसी हुई काली मिर्च डालकर भोजन से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है |
६- रात को सोने से पहले १५ ग्राम त्रिफला चूर्ण को हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर एक चम्मच शहद मिलकर पी लें | इससे मोटापा जल्दी दूर होता है |
बनाये सत्तू का नमकीन शर्बत।

 सत्तू का शर्बत (Sattu Drink) बिहार क्षेत्र की एक बहुत ही पॉपुलर और पारम्पारिक डिश है जिसे मीठा और नमकीन दो अलग अलग तरीकों से बनाया जाता है, सत्तू हमारे स्वास्थ के लिये काफी लाभदायक होता है क्योंकि इसमें अधिक मात्रा मे पौषक तत्व जैसे – फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स और भी अन्य तत्व आदि पाये जाते है। सत्तू को बनाने लिये चना और गेंहू को भुनवाकर पीसकर बनाया जाता है और इसके प्रयोग से बहुत सी डिशेस भी तैयार की जाती है, गर्मियों के दिनों में सत्तू क प्रयोग करना खासतौर पर बेहद फायदेमंद होता है क्योंकि इससे हमारे शरीर को ठंडक मिलती है। आज हम आपसे सत्तू का नमकीन शर्बत बनाने की विधि शेयर करेंगें जिससे आप भी इसे आसानी से बना सकें तो आईये आज हम सत्तू का नमकीन शर्बत (Salty Sattu Drink) बनायेंगें।
आवश्यक सामग्री (Ingredients For Salty Sattu Drink Recipe )-
सत्तू (Sattu)- आधा कप
ठंडा पानी (Chilled Water)- डेढ़ गिलास
नींबू का रस (Lemon Juice)- 2 चम्मच
भुना जीरा पाउडर (Roasted Cumin Powder)- आधा चम्मच
काला नमक (Black Salt)- आधा चम्मच
पुदीना के पत्ते (Mint Leaves)- 10-12
हरी मिर्च (Green Chilly)- 1/2-1 (Optional) (बिल्कुल बारीक काट लें)
प्याज (Onion)- 1/2 (बिल्कुल बारीक काट लें) (Optional)
सादा नमक (Salt)- स्वादानुसार
आइस क्यूब (Ice Cubes)- 2-३
विधि (How To Make Salty Sattu Drink)-
सत्तू का नमकीन शर्बत बनाने के लिये सबसे पहले एक बड़े बर्तन मे सत्तू को छानकर निकाल लें और छने हुये सत्तू को थोड़ा थोड़ा करीब आधा कप ठंडा पानी मिलाकर घोल बना लें और इस बात क़ा खास ध्यान रखें कि सत्तू के घोल मे गुठलियाँ नहीं पड़नी चहिये। अब पुदीना के पत्तों को पानी से अच्छी तरह से धोकर बारीक काट लें, इसके बाद जो हमने सत्तू घोल बनाया था उसमें सभी कटी हुई सामग्रियों जैसे- कटी हुई पुदीना की पत्तियाँ, कटी हुई हरी मिर्च, कटी हुई प्याज, क़ाला नमक, सादा नमक, नींबू का रस, भुना जीरा पाउडर और ठंडे पानी (आप अपने अनुसार शर्बत को जितना पतला रखना चाहते हो उसी मे अनुसार पानी मिला लें) को डालकर एक चम्मच की सहायता से अच्छी तरह से मिक्स कर लें जिससे सभी मसाले आपस मे अच्छी तरह से मिल जाये। स्वादिष्ट और पौष्टिक सत्तू का नमकीन शर्बत (Salty Sattu Drink) बनकर तैयार हो गया है, ठंडे ठंडे सत्तू के नमकीन शर्बत को सर्विंग गिलास मे निकालकर ऊपर से आइस क्यूब और पुदीना के पत्तों से गार्निश करके तुरंत ही सर्व करें, यह शर्बत खासतौर पर गर्मी के दिनों के लिये वास्तव में एक बहुत ही रिफ्रेशिंग और फ़ायदेमंद ड्रिंक है।