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Monday, February 9, 2015

बरगद का ढूध ....
1.बल-वीर्य की वृद्धिः
बड़ के कच्चे फल छाया में सुखा के चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। 10 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ 40 दिन तक सेवन करने से बल-वीर्य और स्तम्भन (वीर्यस्राव को रोकने की) शक्ति में भारी वृद्धि होती है।
2.निम्न रक्तचाप में:
10 बूँद बरगद का दूध, लहसुन का रस आधा चम्मच तथा तुलसी का रस आधा चम्मच इन तीनों को मिलाकर चाटने से निम्न रक्तचाप में आराम मिलता है।
3.छाइयाँ :
बरगद का दूध चेहरे पर प्रतिदिन मलें। बीस मिनट बाद ठंडे पानी से धो डालें। बरगद के दूध में बहुत शक्ति व शीतलता होती है। इससे एक सप्ताह में आपकी छाइयाँ समाप्त हो
4.गाँठ:
शरीर में कहीं गठान हो तो प्रारम्भिक स्थिति में तो गाँठ बैठ जाती है और बढ़ी हुई स्थिति में पककर फूट जाती है।
5.अतिसार में:
दूध को नाभि में भरकर थोड़ी देर लेटने से अतिसार में आराम होता है।
6.बिवाइयाँ:
हाथ पैर में बिवाइयाँ फटी हों तो उसमें बरगद का दूध लगाने से ठीक हो जाती हैं।
7.दाँत का दर्द :
दाँतों में बड़ का दूध लगाने से दाँत का दर्द समाप्त हो जाता है।

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